Sunday, September 21, 2014

एक गाँव में एक चौधरी के बेटे छेदामल की बड़ी मुश्किल से 40 वर्ष की आयु में 20 वर्ष की लड़की से शादी हो गयी.

शादी के बाद छेदामल जी दुल्हन को घर ले आये किन्तु दुल्हन छेदामल के बारे में कुछ भी नहीं जानती थी यहाँ तक की नाम भी नहीं. और

अगले दिन दुल्हन घूंघट लटकाए शरमाई हुई बैठी थी और मुंह दिखाई की रस्म शुरू हुई.

एक बुजुर्ग औरत आई, घूंघट उठाया और बोली - "बहु तो ठेर सोहनी हैं पर छेदा बड़ा हैं"
दुल्हन चौंकी, सकुचायी पर चुप रही

दूसरी औरत आई, घूंघट उठाया और बोली - "बहु तो सोहनी हैं पर छेदा बड़ा हैं"
दुल्हन फिर चौंकी, सकुचायी पर चुप रही

तीसरी औरत आई, घूंघट उठाया और बोली - "बहु तो चोक्खी हैं पर छेदा बड़ा हैं"
दुल्हन गुस्सायी और "हूं हूं हूं "

चौथी औरत आई, घूंघट उठाया और बोली - "बहु तो चाँद का टुकड़ा हैं पर छेदा बड़ा हैं"
दुल्हन गुस्सायी और "हूं हूं हूं हूं हूं हूं "

पांचवीं औरत आई, घूंघट उठाया और बोली - "बहु तो बढ़िया हैं पर छेदा बड़ा हैं"

दुल्हन ने घूंघट उतार कर पीछे फेंका और जोर से गुर्रायी - "छेदा बड़ा हैं ! छेदा बड़ा हैं !! छेदा बड़ा हैं !!! "

और लहंगा सर तक ऊपर उठा के बोली - "गौर से देख लो अभी तो सील भी नहीं टूटी"

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