Tuesday, November 11, 2014

जिसने हमको चाहा, उसे हम चाह न सके,जिसको चाहा उसे हम पा न सके,यह समजलो दिल टूटने का खेल है,किसी का तोडा और अपना बचा न सके


बनाने वाले ने दिल काँच का बनाया होता.तोड़ने वाले के हाथ मे जखम तो आया होता.जब बी देखता वो अपने हाथों को,उसे हमारा ख़याल तो आया होता


दिल टूट गया है फिर भी कसक सीने में बाकी हैनशे मैं मदहोश हैं तो क्या पैमाने मैं जाम अब भी बाकी है



हम तो जी रहे थे उनका नाम लेकर,वो गुज़रते थे हमारा सलाम लेकर,कल वो कह गये भुला दो हुमको,हमने पुछा कैसेवो चले गये हाथो मे जाम देकर…



वफ़ा के नाम से वो अनजान थे, किसी की बेवफाई से शायद परेशान थे, हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला, हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे.

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