Saturday, January 3, 2015

आ बैठ जा तू मेरे सामने दो पल तुझपे ज़िंदगी की गज़ल लिख दूँ,
जरा सा हंस दो तुम फूलों की तरह तुझे अपनी चाहतों का कमल लिख दूँ,
बुरी नज़र से भी बचा लोगी तुम आँख में लगा काज़ल लिख दूँ,
तुझको प्यार का दरिया लिख कर खुद को एक प्यासा बादल लिख दूँ,
जिसमे सारे जहाँ की खुशियां आ जाएँ खुदा का दिया एक पाक दामन लिख दूँ,
काश कभी बरस जाये मेरे ऊपर भी तुझे अपने प्यार का सावन लिख दूँ,
कभी-कभी मैं भी देख लूंगा तुम्हे अपने ख्वाबों की मंजिल लिख दूँ,
ना पहुंच सकूंगा कभी मैं फिर भी तुझे दिल की हसरतों का साहिल लिख दूँ--




जो खो जाता हैं मिलकर ज़िंदगी में....
..... ग़ज़ल है नाम
 ...'......उसका शायरी में ।

 निकल आते हैं आँसू........
........ हँसते--हँसते
  ये किस ग़म की कसक है.....
....... हर ख़ुशी में ।

कहीं चेहरा, कहीं आँखें .....
......कहीं लब.....
हमेशा एक मिलता है,
  ......कई में ।

गुजर जाती हैं.......
....यूँ ही उम्र सारी
......किसी को ढूँढ़ते हैं.....
...........हम किसी में ।

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