Friday, January 2, 2015

 हम बादशाहो के बादशाह हे इसलीए गुलामो जेसी हरकते नही,....
पैसै पर फोटो हमारा भी हो सकता पर लोगो की जेब मे रहना हमारी फीतरत नही....




 Mujhe apne lafzon se aaj bhi shikaayat hai
Yeh uss waqt chup ho gaye jab inhe bolna tha



 आज आईने के सामने खड़े हो खुद से माफी मांगली मेने..
सबसे ज्यादा खुद का दिल दुखाया हैं गैरो को खुश करने में...




 अक्सर पूछते है लोग
किसके लिए लिखते हो ...??
अक्सर कहता है दिल.....
काश कोई होता




: मेरी कलम का मज़हब..
... ना पता लगा मुझे
कभी सजदा लिख दिया खुदा के नाम..
.. कभी शब्दों मे उतर आए राम !!

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