Sunday, March 15, 2015

"ये मोबाइल हमारा है
पतिदेव से भी प्यारा है"
उठते ही मोबाइल के दर्शन पहले पाऊ।
पति परमेशवर को बस भूल ही जाऊ।
मध्यम आंच पर चाय चढाऊँ।
वोट्सअप को पढती जाऊ।
चाय उबल कर हो गई काडा।
चिल्ला रहा पति देव बेचारा।
कानो में है ईयरफ़ोन लगाया।
अब फेसबुक है चलाया।
रोटी बनाने कि बारी आई।
दाल गैस पर चढा कर आई।
इतने में सखी का फ़ोन आया।
पार्टी का उसने संदेशा सुनाया।
करने लगी बाते प्यारी।
इतने में भिन्डी हो गई करारी।
सासूजी चबा ना पाई।
मन ही मन वो खूब बडबड़ाई।
ससुर जी बैठे है बाथरूम में।
खत्म हो गया पानी टंकी में।
कैंडी-क्रश गेम में उलझ गई थी।
मोटर चालू करना भूल गई थी।
ग्रुप कि एडमिन बन कर है नाम बहुत कमाया।
सबके घर की बहुओ को अपने ही साथ उलझाया।
बच्चो की मार्कशीट के मार्क्स ही ऐसे आए।
जो पति परमेश्वर के दिल को ना भाए।
उसे देख पतिदेव ने सिंघम रूप बनाया।
"आता माझी सटकली" हमको है सुनाया
घर का बजा रहा है बाराह।
ऐसा है मोबाइल हमारा।

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