Sunday, March 15, 2015

 सभी को मिल नहीं सकती इनायत जिसको कहते हैं
झुका देती है वो सिर को इबादत जिसको कहते हैं
मेरी धड़कन ये कहती है मेरे लब पर दुआ यह है
कहीं मिल जाए वो मुझको मोहबत जिसको कहते हैं




 तुम्हारी चाहतों के कुछ कमल इस दिल में खिलने दो
हमारी रूह को पल भर सही चुपके से मिलने दो
डूबो दें प्यार के दरिया में खुद को भी भूला दे अब
मुहब्बत में लगे हर जख्म को अधरों से सिलने दो


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