Sunday, March 15, 2015

सिर्फ रोना ही तो नहीं है नाम ज़िन्दगी का,
पाना और खोना भी तो है नाम ज़िन्दगी का,
.
तुम चले गए हो मुझे छोड़ कर तो क्या हुआ,
किसी और का होना भी तो है नाम ज़िन्दगी का,
.
क्या हुआ गर नहीं है कोई मेरा इस जहां में,
यहाँ खुद के साथ जीना भी तो नाम है ज़िन्दगी का,
.
अगर सताने लगे तन्हाई यहाँ किसी को,तो,
मौत से दोस्ती कर लेना भी तो नाम है ज़िन्दगी का...




 सौ सुख पा कर भी सुखी न हो;
 पर एक ग़म का दुःख मनाता है;
 तभी तो कैसी करामात है कुदरत की;
 लाश तो तैर जाती है पानी में;
 पर ज़िंदा आदमी डूब जाता है!


No comments:

Post a Comment