वो ज़िंदगी ही क्या जिसमे मोहब्बत नही,
वो मोहबत ही क्या जिसमे यादें नही,
वो यादें क्या जिसमे तुम नही,
और वो तुम ही क्या जिसके साथ हम नही!!!
हमारी किसी बात से खफा मत होना,
नादानी से हमारी नाराज़ मत होना.
पहली बार चाहा है हमने किसी को इतना,
चाह कर भी कभी हमसे दूर मत होना..
आँखों मे आ जाते है आँसू,
फिर भी लबो पे हसी रखनी पड़ती है,
ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो,
जिस से करते है उसीसे छुपानी पड़ती है…
वो मोहबत ही क्या जिसमे यादें नही,
वो यादें क्या जिसमे तुम नही,
और वो तुम ही क्या जिसके साथ हम नही!!!
हमारी किसी बात से खफा मत होना,
नादानी से हमारी नाराज़ मत होना.
पहली बार चाहा है हमने किसी को इतना,
चाह कर भी कभी हमसे दूर मत होना..
आँखों मे आ जाते है आँसू,
फिर भी लबो पे हसी रखनी पड़ती है,
ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो,
जिस से करते है उसीसे छुपानी पड़ती है…
No comments:
Post a Comment