सोने में जब जड़ कर हीरा,
आभूषण बन जाता है,
वह आभूषण फिर सोने का नही,
हीरे का कहलाता है ।
काया इंसान की सोना है और,
कर्म हीरा कहलाता है,
कर्मो के निखार से ही,
मूल्य सोने का बढ़ जाता है।
महफिल में हँसकर तन्हाई में रो लेते हैं
किसी को दिखाई ना दे कुछ जख्म ही ऐसे होते हैं
तू मेरी खामोशी को मेरी बेवफ़ाई मत समझना
किसी को बता ना सके कुछ दर्द ही ऐसे होते हैं
"कौन कहता है मुझे ठेस का एहसास नहीं,
जिंदगी एक उदासी है जो तुम पास नहीं,
मांग कर मैं न पियूं तो यह मेरी खुद्दारी है,
इसका मतलब यह तो नहीं है कि मुझे प्यास नहीं."।।।।
आभूषण बन जाता है,
वह आभूषण फिर सोने का नही,
हीरे का कहलाता है ।
काया इंसान की सोना है और,
कर्म हीरा कहलाता है,
कर्मो के निखार से ही,
मूल्य सोने का बढ़ जाता है।
महफिल में हँसकर तन्हाई में रो लेते हैं
किसी को दिखाई ना दे कुछ जख्म ही ऐसे होते हैं
तू मेरी खामोशी को मेरी बेवफ़ाई मत समझना
किसी को बता ना सके कुछ दर्द ही ऐसे होते हैं
"कौन कहता है मुझे ठेस का एहसास नहीं,
जिंदगी एक उदासी है जो तुम पास नहीं,
मांग कर मैं न पियूं तो यह मेरी खुद्दारी है,
इसका मतलब यह तो नहीं है कि मुझे प्यास नहीं."।।।।
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