गम के पास तलवार है
मैं उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ ,
ऐ जिंदगी !
तेरी हर चाल के लिए मैं एक चाल लिए बैठा हूँ...!
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का..!
मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठा हूँ ..!!
चल मान लिया दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक..!
गिरेबान में अपने सुनहरे साल लिए बैठा हूँ..!!
ये गहराइयाँ, ये लहरें, ये तूफाँ, तुम्हें मुबारक..!
मुझे क्या फिक्र
मैं कश्ती बेमिसाल लिए बैठा हूँ....!!
मैं उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ ,
ऐ जिंदगी !
तेरी हर चाल के लिए मैं एक चाल लिए बैठा हूँ...!
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का..!
मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठा हूँ ..!!
चल मान लिया दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक..!
गिरेबान में अपने सुनहरे साल लिए बैठा हूँ..!!
ये गहराइयाँ, ये लहरें, ये तूफाँ, तुम्हें मुबारक..!
मुझे क्या फिक्र
मैं कश्ती बेमिसाल लिए बैठा हूँ....!!
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