Thursday, March 5, 2015

गम के पास तलवार है
 मैं उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ ,

ऐ जिंदगी !
तेरी हर चाल के लिए मैं एक चाल लिए बैठा हूँ...!

लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का..!
मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठा हूँ ..!!

चल मान लिया दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक..!
गिरेबान में अपने सुनहरे साल लिए बैठा हूँ..!!

ये गहराइयाँ, ये लहरें, ये तूफाँ, तुम्हें मुबारक..!
मुझे क्या फिक्र
 मैं कश्ती बेमिसाल लिए बैठा हूँ....!!


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