Sunday, March 8, 2015

‬: मुँह की बात सुने हर कोई
         दिल के दर्द को जाने कौन
आवाज़ों के बाज़ारों में
         ख़ामोशी पहचाने कौन ।


सदियों-सदियों से वही तमाशा
         रस्ता रस्ता लम्बी खोज
लेकिन जब हम मिल जाते हैं
         खो जाता है न जाने कौन ।




🍃 "चलते रहे कदम दोस्तों,
               किनारा जरुर मिलेगा ।

अन्धकार से लड़ते रहे,
               सवेरा जरुर खिलेगा ।

जब ठान लिया मंजिल पर जाना,
               रास्ता जरुर मिलेगा ।

ए राही न थक, चल..
               एक दिन समय जरुर फिरेगा।"🍃

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