इतनी ऊँचाई न देना प्रभु कि,
धरती पराई लगने लगे l
इनती खुशियाँ भी न देना कि,
दुःख पर किसी के हंसी आने लगे ।
नहीं चाहिए ऐसी शक्ति जिनका,
निर्बल पर प्रयोग करूँ l
नहीं चाहिए ऐसा भाव कि,
किसी को देख जल-जल मरूँ ।
ऐसा ज्ञान मुझे न देना,
अभिमान जिसका होने लगे I
ऐसी चतुराई भी न देना जो,
लोगों को छलने लगे ।
धरती पराई लगने लगे l
इनती खुशियाँ भी न देना कि,
दुःख पर किसी के हंसी आने लगे ।
नहीं चाहिए ऐसी शक्ति जिनका,
निर्बल पर प्रयोग करूँ l
नहीं चाहिए ऐसा भाव कि,
किसी को देख जल-जल मरूँ ।
ऐसा ज्ञान मुझे न देना,
अभिमान जिसका होने लगे I
ऐसी चतुराई भी न देना जो,
लोगों को छलने लगे ।
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