Saturday, October 11, 2014

दुबई जाने वाली फ्लाइट में तीन सीटों की पंक्ति में
दो पाकिस्तानी और
एक बुजुर्ग सरदारजी बैठे.
सरदारजी कोने वाली सीट पर थे
और अपने जूते उतार
कर आराम से सीट पर ही चौकड़ी मार कर बैठ गये.
तभी पहला पाकिस्तानी बोला,"
भाई मुझे तो बहुत प्यास लगी है,
कोक पियूंगा।
" सरदार जी कोने में बैठे थे तो कहा "भाई साहब, आप बैठो,
मैं लेकर
आता हूँ"
और वो एयर होस्टेज से कोक लेने नंगे पावँ ही चले गये.
दोनों पाकिस्तानी मुस्कुराए और एक ने सरदारजी के जूते में
थूक दिया.
सरदारजी थोड़ी ही देर में कोक लेकर आ गये और फिर
चौकड़ी मार कर बैठ गये.
अब थोड़ी देर के बाद दूसरा पाकिस्तानी भी बोला, मुझे
भी प्यास लगी है, मैं भी कोक पियूँगा.
सरदारजी फिर उठे और थोड़ी देर के बाद कोक लेकर आ
गये।
इस बीच दूसरे पाकिस्तानी ने भी उनके जूते में थूक दिया.
दुबई पहुँचने पर सरदार जी ने अपने जूते जैसे ही पहने,
उनको सारी बात समझ में
आ गयी.
यह देख दोनों पाकिस्तानी सरदारजी की हसीं उड़ाने के अंदाज़
में
मुस्कुराने लगे.
सरदार जी बहुत ही आहत स्वर में बोले,
"आखिर कब तक यह दुश्मनी चलेगी,
आखिर कब तक हम भुगतते रहेंगे.
आखिर कब तक यह मंजर चलेगा,
आखिर कब तक तुम जूतों में थूकते और हम कोक में मूतते
रहेंगे...???

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