Sunday, October 12, 2014

 मोहभंग का हर अनुभव अच्छा लगता है !
मुक्ति का अहसास बहुत अच्छा लगता है !!

मुझे मृत्यु ने इतना प्यार दिया है !
जीवन का अनुभव सपना लगता है !!

रंग बदलते चेहरे भी अच्छे लगते हैं !
सच्चाई का कडुआ पन मीठा लगता है !!

ज़हर पचाने की क्षमता है मन में !
इसीलिये जीवन अमृत लगता है !!



सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूँ, प्रिय मिलने का वचन भरो तो !

पलकों-पलकों शूल बुहारूँ, अँसुअन सींचू सौरभ गलियाँ
भँवरों पर पहरा बिठला दूँ
कहीं न जूठी कर दें कलियाँ
फूट पडे पतझर से लाली
तुम अरुणारे चरन धरो तो !

रात न मेरी दूध नहाई, प्रात न मेरा फूलों वाला
तार-तार हो गया निमोही
काया का रंगीन दुशाला
जीवन सिंदूरी हो जाए
तुम चितवन की किरन करो तो !

सूरज को अधरों पर धर लूँ, काजल कर आँजूँ अँधियारी
युग-युग के पल छिन गिन-गिनकर
बाट निहारूँ प्राण तुम्हारी
साँसों की जंज़ीरें तोड़ूँ
तुम प्राणों की अगन हरो तो ।

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