एक भयानक सत्य कथा!
भारत में प्रथम श्रेणी में पास होने वाले विद्यार्थी टेक्नीकल में प्रवेश लेते हैं और वह डॉक्टर या इंजिनियर बनते है।
द्वितीय श्रेणी में पास होने वाले MBA में एडमिशन लेते हैं और व्यवस्थापक/प्रबंधक बनते है तथा प्रथम श्रेणी वालों को हैंडल करते हैं।
तृतीय श्रेणी में पास होने वाले कहीं पर भी प्रवेश नहीं लेते हैं। वह राजनीती में जाते है और प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी वालो को हैंडल करते हैं।
फेल होने वाले भी कहीं पर भी प्रवेश नहीं लेते हैं और वह अंडरवर्ल्ड में जा कर तीनों पर कंट्रोल करते है।
और जो कभी स्कूल में गए ही नहीं वह बाबा-साधू बनते हैं और उपर लिखे चारों उनके पैर पढ़ते है।
भारत में प्रथम श्रेणी में पास होने वाले विद्यार्थी टेक्नीकल में प्रवेश लेते हैं और वह डॉक्टर या इंजिनियर बनते है।
द्वितीय श्रेणी में पास होने वाले MBA में एडमिशन लेते हैं और व्यवस्थापक/प्रबंधक बनते है तथा प्रथम श्रेणी वालों को हैंडल करते हैं।
तृतीय श्रेणी में पास होने वाले कहीं पर भी प्रवेश नहीं लेते हैं। वह राजनीती में जाते है और प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी वालो को हैंडल करते हैं।
फेल होने वाले भी कहीं पर भी प्रवेश नहीं लेते हैं और वह अंडरवर्ल्ड में जा कर तीनों पर कंट्रोल करते है।
और जो कभी स्कूल में गए ही नहीं वह बाबा-साधू बनते हैं और उपर लिखे चारों उनके पैर पढ़ते है।
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