हर सपना किसी का पूरा नहीं होता,
कोई किसी के बिना अधुरा नहीं होता,
जो रौशन करता हैं सब रातों को...
वो चाँद भी तो हर रात पूरा नहीं होता..
: "कौन कहता है मुझे ठेस का एहसास नहीं,
जिंदगी एक उदासी है जो तुम पास नहीं,
मांग कर मैं न पियूं तो यह मेरी खुद्दारी है,
इसका मतलब यह तो नहीं है कि मुझे प्यास नहीं."
: "उसके इंतजार के मारे है हम..
बस उसकी यादों के सहारे है हम...
दुनियाँ जीत के कहना क्या है अब?
जिसे दुनियाँ से जीतना था आज उसी से हारे है हम."
: तन्हाई का उसने मंज़र नहीं देखा,
अफ़सोस की मेरे दिल के अन्दर नहीं देखा,
दिल टूटने का दर्द वो क्या जाने...
वो लम्हा उसने कभी जी कर नहीं देखा..
: "ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं, तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं, वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं."
"वो सूरज की तरह आग उगलते रहे,
हम मुसाफिर सफ़र पर ही चलते रहे,
वो बीते वक़्त थे, उन्हें आना न था,
हम सारी रात करवट बदलते रहे."
"मुद्तों के बाद उसको किसी के साथ खुश देखा तो एहसास हुआ ...
काश की उसको बहुत पहले हे छोड़ दिया होता ...."
कोई किसी के बिना अधुरा नहीं होता,
जो रौशन करता हैं सब रातों को...
वो चाँद भी तो हर रात पूरा नहीं होता..
: "कौन कहता है मुझे ठेस का एहसास नहीं,
जिंदगी एक उदासी है जो तुम पास नहीं,
मांग कर मैं न पियूं तो यह मेरी खुद्दारी है,
इसका मतलब यह तो नहीं है कि मुझे प्यास नहीं."
: "उसके इंतजार के मारे है हम..
बस उसकी यादों के सहारे है हम...
दुनियाँ जीत के कहना क्या है अब?
जिसे दुनियाँ से जीतना था आज उसी से हारे है हम."
: तन्हाई का उसने मंज़र नहीं देखा,
अफ़सोस की मेरे दिल के अन्दर नहीं देखा,
दिल टूटने का दर्द वो क्या जाने...
वो लम्हा उसने कभी जी कर नहीं देखा..
: "ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं, तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं, वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं."
"वो सूरज की तरह आग उगलते रहे,
हम मुसाफिर सफ़र पर ही चलते रहे,
वो बीते वक़्त थे, उन्हें आना न था,
हम सारी रात करवट बदलते रहे."
"मुद्तों के बाद उसको किसी के साथ खुश देखा तो एहसास हुआ ...
काश की उसको बहुत पहले हे छोड़ दिया होता ...."
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