Thursday, October 9, 2014

मैखाने मे आऊंगा मगर...
पिऊंगा नही साकी...
ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात
नही रखती......
👍👍
"खामोश बैठें तो लोग कहते हैं उदासी अच्छी नहीं, ज़रा सा हँस लें तो मुस्कुराने की वजह पूछ लेते हैं" !!
👍👍
हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली।
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली।
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ।
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली।।....
👍👍
तू होश में थी फिर भी हमें पहचान न पायी;
एक हम है कि पी कर भी तेरा नाम लेते रहे!
👍👍
हजार जवाबों से अच्छी है खामोशी,
ना जाने कितने सवालों की आबरू रखती है !
👍👍
"सूरज ढला तो
 कद से ऊँचे हो गए साये,
 कभी पैरों से रौंदी थी,
 यहीं परछाइयां हमने..
👍👍
काग़ज़ की कश्ती थी
पानी का किनारा था।
खेलने की मस्ती थी
ये दिल अवारा था।
कहाँ आ गए
इस समझदारी के दलदल में।
वो नादान बचपन भी
कितना प्यारा था ...!
👍👍
जमीन छुपाने के लिए गगन होता है...
दिल छुपाने के लिए बदन होता है....
सायद मरने के बाद भी छुपाये जाते है गम....इस लिए हर लाश पे कफ़न होता है
👍👍
मेरे लफ़्ज़ों से न कर
     मेरे क़िरदार का फ़ैसला ll
तेरा वज़ूद मिट जायेगा
     मेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते l
👍👍
कबर की मिट्टी हाथ में लिए सोच रहा हूं,
लोग मरते हैं तो गुरूर कहाँ जाता है..
👍👍

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