"वो आँखो से यूँ शरारत करते हैं,
अपनी अदाओं से यूँ क़यामत करते हैं,
निगाहें उनके चेहरे से हटती ही नही,
और वो हमारी नज़रो से शिकायत करते हैं."
मैं वो हूँ, जो आँखों में आँखे डाल के सच जान लेता हूँ,
इश्क में हूँ बस, इसलिए तेरे झूठ भी सच मान लेता हूँ..!!
अंधेरों से घिरे हों तो घबराएं नहीं, क्योंकि सितारों को चमकने के लिए घनी अँधेरी रात ही चाहिए होती है, दिन की रौशनी नहीं...
दर्द आपको मजबूत बनाता है। आंसू आपको बहादुर बनाते हैं। दिल टूटने से आप बुद्धिमान बनते हैं। इसलिए एक बेहतरीन भविष्य के लिए अतीत को धन्यवाद कहिए
ताउम्र भटकती रही लहरों में कश्ती मेरी,नसीबों को मयस्सर कभी किनारा ना हुआ,वो ऐसा गया मेरी नजरों से बहुत दूर कंही,नजरों को उनका फिर कभी नज़ारा ना हुआ,क्यों दिल लगाया था तूने उस बेबफा से,“मन”तेरा फिर कंही कभी गुजारा ना हुआ.
मोहब्बत में टूटे, तो फिर संभालना नही आया,उनसे बिछड़े है जबसे, फिर मचलना नही आया,मेरे दिल की,तासीर ही कुछ ऐसी रही कि,उनसे किये वादों से, फिर मुकरना नही आया.
मत करना नज़र-अंदाज़ 'माँ-बाप' की तकलीफों को ..
.ए मेरे प्यारे......,
जब ये बिछड़ जाते हैं तो रेशम के तकियें पर भी नींद नहीं आती!!"
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे;
तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब कर मर जाने दे;
ज़ख्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको;
सोचता हूँ कहूँ, फिर सोचता हूँ कि छोड़ जाने दे।
यू ,मुझे तड़पता, छोडकर जाने वाले,लौट आ मेरा आशियाँ सजाने वाले,यू तन्हा जीना, बहुत मुश्किल होगा,बहुत सतायेंगे मुझे, ये ज़माने वाले,पर तुम मेरी मोहब्बत का,भरम रखना,कई आयेंगे,तुमको अपना बनाने वाले.
ज़रूरी काम है लेकिन रोज़ाना भूल जाता हूँ;
मुझे तुम से मोहब्बत है मगर जताना भूल जाता हूँ;
तेरी गलियों में फिरना इतना अच्छा लगता है;
मैं रास्ता याद रखता हूँ मगर ठिकाना भूल जाता हूँ।
अपनी अदाओं से यूँ क़यामत करते हैं,
निगाहें उनके चेहरे से हटती ही नही,
और वो हमारी नज़रो से शिकायत करते हैं."
मैं वो हूँ, जो आँखों में आँखे डाल के सच जान लेता हूँ,
इश्क में हूँ बस, इसलिए तेरे झूठ भी सच मान लेता हूँ..!!
अंधेरों से घिरे हों तो घबराएं नहीं, क्योंकि सितारों को चमकने के लिए घनी अँधेरी रात ही चाहिए होती है, दिन की रौशनी नहीं...
दर्द आपको मजबूत बनाता है। आंसू आपको बहादुर बनाते हैं। दिल टूटने से आप बुद्धिमान बनते हैं। इसलिए एक बेहतरीन भविष्य के लिए अतीत को धन्यवाद कहिए
ताउम्र भटकती रही लहरों में कश्ती मेरी,नसीबों को मयस्सर कभी किनारा ना हुआ,वो ऐसा गया मेरी नजरों से बहुत दूर कंही,नजरों को उनका फिर कभी नज़ारा ना हुआ,क्यों दिल लगाया था तूने उस बेबफा से,“मन”तेरा फिर कंही कभी गुजारा ना हुआ.
मोहब्बत में टूटे, तो फिर संभालना नही आया,उनसे बिछड़े है जबसे, फिर मचलना नही आया,मेरे दिल की,तासीर ही कुछ ऐसी रही कि,उनसे किये वादों से, फिर मुकरना नही आया.
मत करना नज़र-अंदाज़ 'माँ-बाप' की तकलीफों को ..
.ए मेरे प्यारे......,
जब ये बिछड़ जाते हैं तो रेशम के तकियें पर भी नींद नहीं आती!!"
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे;
तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब कर मर जाने दे;
ज़ख्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको;
सोचता हूँ कहूँ, फिर सोचता हूँ कि छोड़ जाने दे।
यू ,मुझे तड़पता, छोडकर जाने वाले,लौट आ मेरा आशियाँ सजाने वाले,यू तन्हा जीना, बहुत मुश्किल होगा,बहुत सतायेंगे मुझे, ये ज़माने वाले,पर तुम मेरी मोहब्बत का,भरम रखना,कई आयेंगे,तुमको अपना बनाने वाले.
ज़रूरी काम है लेकिन रोज़ाना भूल जाता हूँ;
मुझे तुम से मोहब्बत है मगर जताना भूल जाता हूँ;
तेरी गलियों में फिरना इतना अच्छा लगता है;
मैं रास्ता याद रखता हूँ मगर ठिकाना भूल जाता हूँ।
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