Best Poem (share it to all) -
पैर की मोच
और
छोटी सोच,
हमें आगे
बढ़ने नहीं देती ।
टुटी कलम
और
औरो से जलन,
खुद का भाग्य
लिखने नहीं देती ।
काम का आलस
और
पैसो का लालच,
हमें महान
बनने नहीं देता ।
अपना मजहब उंचा
और
गैरो का ओछा,
ये सोच हमें इन्सान
बनने नहीं देती ।
दुनिया में सब चीज
मिल जाती है,....
केवल अपनी गलती
नहीं मिलती...
.. Some good 2 liners collection ... with deep meanings. ...
: बुलंदी की उडान पर हो तो ,
जरा सब्र रखो।
परिंदे बताते हैं कि ,
आसमान में ठिकाने नही होते ।।
: चढ़ती थीं उस मज़ार पर चादरें बेशुमार ,
लेकिन बाहर बैठा कोई फ़क़ीर सर्दी से मर गया।।
: कितनी मासुम सी ख़्वाहिश थी इस नादांन दिल की ,
जो चाहता था कि.. शादी भी करूँ और ....
ख़ुश भी रहूँ ।।
: छत टपकती है उसके कच्चे घर की , वो किसान फिर भी बारिश की दुआ माँगता है ।।
: तेरे डिब्बे की वो दो रोटिया कही भी बिकती नहीं ,
माँ ...........
होटल के खाने से आज ी भूख मिटती नहीं ।।
: इतना भी गुमान न कर आपनी जीत पर " ऐ बेखबर "
शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हे....।।
: सीख रहा हूं अब मैं भी इंसानों को पढने का हुनर ,
सुना है चेहरे पे किताबों से ज्यादा लिखा होता है ।।
: लिखना तो ये था कि खुश हूँ तेरे बगैर भी ,
पर कलम से पहले आँसू कागज़ पर गिर गया ।।
: " मैं खुल के हँस तो रहा हूँ फ़क़ीर होते हुए ,
वो मुस्कुरा भी न पाया अमीर होते हुये ।।
: कैसी लगी, अगर अच्छी लगीं हों तो औरो को भी भेज देना ।।
पैर की मोच
और
छोटी सोच,
हमें आगे
बढ़ने नहीं देती ।
टुटी कलम
और
औरो से जलन,
खुद का भाग्य
लिखने नहीं देती ।
काम का आलस
और
पैसो का लालच,
हमें महान
बनने नहीं देता ।
अपना मजहब उंचा
और
गैरो का ओछा,
ये सोच हमें इन्सान
बनने नहीं देती ।
दुनिया में सब चीज
मिल जाती है,....
केवल अपनी गलती
नहीं मिलती...
.. Some good 2 liners collection ... with deep meanings. ...
: बुलंदी की उडान पर हो तो ,
जरा सब्र रखो।
परिंदे बताते हैं कि ,
आसमान में ठिकाने नही होते ।।
: चढ़ती थीं उस मज़ार पर चादरें बेशुमार ,
लेकिन बाहर बैठा कोई फ़क़ीर सर्दी से मर गया।।
: कितनी मासुम सी ख़्वाहिश थी इस नादांन दिल की ,
जो चाहता था कि.. शादी भी करूँ और ....
ख़ुश भी रहूँ ।।
: छत टपकती है उसके कच्चे घर की , वो किसान फिर भी बारिश की दुआ माँगता है ।।
: तेरे डिब्बे की वो दो रोटिया कही भी बिकती नहीं ,
माँ ...........
होटल के खाने से आज ी भूख मिटती नहीं ।।
: इतना भी गुमान न कर आपनी जीत पर " ऐ बेखबर "
शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हे....।।
: सीख रहा हूं अब मैं भी इंसानों को पढने का हुनर ,
सुना है चेहरे पे किताबों से ज्यादा लिखा होता है ।।
: लिखना तो ये था कि खुश हूँ तेरे बगैर भी ,
पर कलम से पहले आँसू कागज़ पर गिर गया ।।
: " मैं खुल के हँस तो रहा हूँ फ़क़ीर होते हुए ,
वो मुस्कुरा भी न पाया अमीर होते हुये ।।
: कैसी लगी, अगर अच्छी लगीं हों तो औरो को भी भेज देना ।।
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