Saturday, November 15, 2014

मैखाने मे आऊंगा मगर...
पिऊंगा नही साकी...
ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात
नही रखती......
"खामोश बैठें तो लोग कहते हैं उदासी अच्छी नहीं, ज़रा सा हँस लें तो मुस्कुराने की वजह पूछ लेते हैं" !!

तू होश में थी फिर भी हमें पहचान न पायी;
एक हम है कि पी कर भी तेरा नाम लेते रहे!

हजार जवाबों से अच्छी है खामोशी,
ना जाने कितने सवालों की आबरू रखती

मेरे लफ़्ज़ों से न कर
 मेरे क़िरदार का फ़ैसला ll
तेरा वज़ूद मिट जायेगा
 मेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते l

कब्र की मिट्टी हाथ में लिए सोच रहा हूं,
लोग मरते हैं तो गु़रूर कहाँ जाता है.

किनारे पर तैरने वाली
लाश को देखकर
ये समझ आया…
बोझ शरीर का नही साँसों का था..!!

यह जो मेरी क़ब्र पर रोते हैं,
अभी ऊठ जाऊँ,
तो ये जीने न दे..!!

मेरे पीठ पर जो जख्म़ है,
वो अपनों की निशानी हैं,
वरना सीना तो आज
भी दुश्मनो के इंतजार मे बैठा है..

जरुरत तोड देती है
इन्सान के घमंड को..
न होती मजबूरी तो
हर बंदा खुदा होता.!!!

जिसको गलत तस्वीर दिखाई,
उसको ही बस खुश रख पाया.
जिसके सामने आईना रक्खा,
हर शख्स वो मुझसे रूठ गया..!!

इस जमाने मे वफा की तलाश ना कर गाफि़ल
वो वक्त और था..
जब मकान कच्चे और लोग सच्चे होते थे..!!!

आज अजीब किस्सा देखा हमने खुदकुशी का,
एक शख्स ने ज़िन्दगी से तंग आकर..
मुहब्बत कर ली

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