Thursday, March 12, 2015

‬: मैं इसे किस्मत कहूँ या बदकिस्मती अपनी, तुझे पाने के बाद भी तुझे खोजता रहा, सुना था वो मेरे दर्द मे ही छुपा है कहीं, उसे ढूँढने को मैं अपने ज़ख्म नोचता रहा.



‬: कल जो बाहो मे थी और निगाहो मे थी, अब वो गर्मी कहाँ खो गयी, ना वो अन्दाज़ है, ना ही वो आवाज़ है,अब वो नर्मी कहाँ खो गयी



 मोहब्बत में जीने वाले खुशनसीब हैं. मोहब्बत में मरने वाले भी अजीब हैं. अजीब है हमारी दास्तान जान –ए – मन , फासलों पर रहते हैं लेकिन करीब हैं..



 बड़ी आसानी से दिल लगाये जाते हैं,पर बड़ी मुश्किल से वादे निभाए जाते हैं,ले जाती है मोहब्बत उन राहो पर,जहा दिए नही दिल जलाए जाते हैं.




और कोई गम नहीं एक तेरी जुदाई के सिवा, मेरे हिस्से में क्या आया तन्हाई के सिवा? यूँ तो मिलन की रातें मिली बेशुमार , प्यार में सब कुछ मिला शहनाई के सिवा..




: हर रिश्ते को अजमाया है हमने, कुछ पाया पर बहुत गवाया है हमने, हर उस शख्स ने रुलाया है, जिसे भी हमने इस दिल में बसाया है.



आँखों में आँसू की जगह न हो मेरे पास आपको भुलाने की वजह न हो अगर भूल जाऊ किसी तरह तो....खुदा करे जिंदगी की अगली सुबह न हो


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