Monday, November 3, 2014


इन्सान की 30. गलतियां

1. इस ख्याल में रहना कि जवानी और तन्दुरुस्ती हमेशा रहेगी।
2. खुद को दूसरों से बेहतर समझना।
3. अपनी अक्ल को सबसे बढ़कर समझना।
4. दुश्मन को कमजोर समझना।
5. बीमारी को मामुली समझकर शुरु में इलाज न करना।
6. अपनी राय को मानना और दूसरों के मशवरें को ठुकरा देना।
7. किसी के बारे में मालुम होना फिर भी उसकी चापलुसी में बार-बार आ जाना।
8. बेकारी में आवारा घुमना और रोज़गार की तलाश न करना।
9. अपना राज़ किसी दूसरे को बता कर उससे छुपाए रखने की ताकीद करना।
10. आमदनी से ज्यादा खर्च करना।
11. लोगों की तक़लिफों में शरीक न होना, और उनसे मदद की उम्मीद रखना।
12. एक दो मुलाक़ात में किसी के बारे में अच्छी राय कायम करना।
13. माँ-बाप की खिदमत न करना और अपनी औलाद से खिदमत की उम्मीद रखना।
14. किसी काम को ये सोचकर अधुरा छोड़ना कि फिर किसी दिन पुरा कर लिया जाएगा।
15. दुसरों के साथ बुरा करना और उनसे अच्छे की उम्मीद रखना।
16. आवारा लोगों के साथ उठना बैठना।
17. कोई अच्छी राय दे तो उस पर ध्यान न देना।
18. खुद हराम व हलाल का ख्याल न करना और दूसरों को भी इस राह पर लगाना।
19. झूठी कसम खाकर, झूठ बोलकर, धोखा देकर अपना माल बेचना, या व्यापार करना।
20. इल्म, दीन या दीनदारी को इज्जत न समझना।
21. मुसिबतों में बेसब्र बन कर चीख़ पुकार करना।
22. फकीरों, और गरीबों को अपने घर से धक्का दे कर भगा देना।
23. ज़रुरत से ज्यादा बातचीत करना।
24. पड़ोसियों से अच्छा व्यवहार नहीं रखना।
25. बादशाहों और अमीरों की दोस्ती पर यकीन रखना।
26. बिना वज़ह किसी के घरेलू मामले में दखल देना।
27. बगैर सोचे समझे बात करना।
28. तीन दिन से ज्यादा किसी का मेहमान बनना।
29. अपने घर का भेद दूसरों पर ज़ाहिर करना।
30. हर एक के सामने अपना दुख दर्द सुनाते रहना।

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