Friday, March 6, 2015

उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ ...
ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए मैं दो चाल लिए बैठा हूँ |

लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का ...
मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठा हूँ l

चल मान लिया दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक
गिरेबान में अपने ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ l

ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुबारक ...
मुझे क्या फ़िक्र मैं कश्तीया और दोस्त बेमिसाल लिए बैठा हूँ....


No comments:

Post a Comment