Tuesday, December 30, 2014

: अजब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफ़िला ज़िन्दगी का……..
सुकून ढूँढने चले थे,नींद ही गँवा बैठे।।





 ए शराब🍺 ..
मुझे तुमसे मोहब्बत नही । मुझे तो उन
पलों से मोहब्बत है जो तुम्हारे कारण मै
दोस्तौ के साथ बिताता हूँ...




 एक काम करना,थोड़ी सी मिट्टी लेना,
उससे दो प्यारे से दोस्त बनाना।

इक तुझ जैसा....एक मुझ जैसा....
फिर उनको तुम तोड़ देना।

फिर उनसे दोबारा दो दोस्त बनाना,
इक तुझ जैसा...एक मुझ जैसा...

ताकि तुझ में कुछ-कुछ मैं रह जाऊँ
और मुझ में कुछ-कुछ तुम रह जाओ।

कुछ तुम जैसा कुछ मुझ जैसा.....

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