Tuesday, December 30, 2014

मुहब्बत से है आबरू
          ज़िंदगी की

उठा ले ये इल्ज़ाम
         क्या देखता है ।




: दिल की बातें दूसरों से मत कहो,
            लुट जाओगे

आजकल इज़हार के धंधे में है
            घाटा बहोत ।




हम हैं कुछ अपने लिए ...
         कुछ हैं ज़माने के लिए ।
घर से बाहर की फिज़ा
         हैं हँसने - हँसाने के लिए ।

यूँ लुटाते न फिरो
              मोतियोंवाले मौसम
ये नगीने तो हैं......
           रातों को सजाने के लिए ।




 तुम्हारी नज़रे तलाश करती रहीं कहां मुझको,
जरा-सा अपना ज़िगर चाक कर लिया होता ।

क़लिसाओं में, क़ाबे में तलाश करते रहे,
के दिल में झांक लिया होता, खुदा पा लिया होता ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏

किसी की आंख का आंसू ही बन जाते,
किसी गरीब की इज़्जत बचा लिया होता ।

किसी अंजाने जनाज़े में हो जाते शरीक,
किसी को अपने जनाज़े में बुला लिया होता ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


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