मुहब्बत से है आबरू
ज़िंदगी की
उठा ले ये इल्ज़ाम
क्या देखता है ।
: दिल की बातें दूसरों से मत कहो,
लुट जाओगे
आजकल इज़हार के धंधे में है
घाटा बहोत ।
हम हैं कुछ अपने लिए ...
कुछ हैं ज़माने के लिए ।
घर से बाहर की फिज़ा
हैं हँसने - हँसाने के लिए ।
यूँ लुटाते न फिरो
मोतियोंवाले मौसम
ये नगीने तो हैं......
रातों को सजाने के लिए ।
तुम्हारी नज़रे तलाश करती रहीं कहां मुझको,
जरा-सा अपना ज़िगर चाक कर लिया होता ।
क़लिसाओं में, क़ाबे में तलाश करते रहे,
के दिल में झांक लिया होता, खुदा पा लिया होता ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
किसी की आंख का आंसू ही बन जाते,
किसी गरीब की इज़्जत बचा लिया होता ।
किसी अंजाने जनाज़े में हो जाते शरीक,
किसी को अपने जनाज़े में बुला लिया होता ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ज़िंदगी की
उठा ले ये इल्ज़ाम
क्या देखता है ।
: दिल की बातें दूसरों से मत कहो,
लुट जाओगे
आजकल इज़हार के धंधे में है
घाटा बहोत ।
हम हैं कुछ अपने लिए ...
कुछ हैं ज़माने के लिए ।
घर से बाहर की फिज़ा
हैं हँसने - हँसाने के लिए ।
यूँ लुटाते न फिरो
मोतियोंवाले मौसम
ये नगीने तो हैं......
रातों को सजाने के लिए ।
तुम्हारी नज़रे तलाश करती रहीं कहां मुझको,
जरा-सा अपना ज़िगर चाक कर लिया होता ।
क़लिसाओं में, क़ाबे में तलाश करते रहे,
के दिल में झांक लिया होता, खुदा पा लिया होता ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
किसी की आंख का आंसू ही बन जाते,
किसी गरीब की इज़्जत बचा लिया होता ।
किसी अंजाने जनाज़े में हो जाते शरीक,
किसी को अपने जनाज़े में बुला लिया होता ।
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