Sunday, December 28, 2014

‬: खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की।
आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है।
अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे।
क्यों की जीसकी जीतनी जरुरत थी उसने उतना ही पहचाना मुझे।



कुछ ज़ख्म सदियों बाद भी ताज़ा रहते है "जनाब"..

वक़्त के पास भी हर मर्ज़ की दवा नहीं होती.




हमने कब माँगा है तुमसे मोहब्बत का हिसाब किताब .. बस दर्द वाली किश्तें देते रहा करो.. मोहब्बत अपने आप बढ़ती जायेगी...💕





आदते बुरी नही शोक ऊँचे हैं ।

वर्ना किसी ख्वाब की इतनी

औकात नही की हम देखे ओर पूरा

ना हो ।।।




 घर के दरवाजे बड़े करवा लिए है हमने,

क्योकि कुछ दोस्तों का 'कद' बड़ा हो गया है,
'चार पैसे' कमाकर!!



: हम वक़्त गुजारने के लिए दोस्तों को नहीं रखते

दोस्तों के साथ रहने के लिए वक्त रखते है !!.....

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