Sunday, December 28, 2014

मैखाने मे आऊंगा मगर...
पिऊंगा नही साकी...
ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात
नही रखती......

"खामोश बैठें तो लोग कहते हैं उदासी अच्छी नहीं, ज़रा सा हँस लें तो मुस्कुराने की वजह पूछ लेते हैं" !!

हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली।
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली।
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ।
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली।।....

तू होश में थी फिर भी हमें पहचान न पायी;
एक हम है कि पी कर भी तेरा नाम लेते रहे!

हजार जवाबों से अच्छी है खामोशी,
ना जाने कितने सवालों की आबरू रखती है !

"सूरज ढला तो
 कद से ऊँचे हो गए साये,
 कभी पैरों से रौंदी थी,
 यहीं परछाइयां हमने..

काग़ज़ की कश्ती थी
पानी का किनारा था।
खेलने की मस्ती थी
ये दिल अवारा था।
कहाँ आ गए
इस समझदारी के दलदल में।
वो नादान बचपन भी
कितना प्यारा था ...!

जमीन छुपाने के लिए गगन होता है...
दिल छुपाने के लिए बदन होता है....
शायद मरने के बाद भी छुपाये जाते है ग़म....इस लिए हर लाश पे कफ़न होता है

मेरे लफ़्ज़ों से न कर
 मेरे क़िरदार का फ़ैसला ll
तेरा वज़ूद मिट जायेगा
 मेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते l

कब्र की मिट्टी हाथ में लिए सोच रहा हूं,
लोग मरते हैं तो गु़रूर कहाँ जाता है.

किनारे पर तैरने वाली
लाश को देखकर
ये समझ आया…
बोझ शरीर का नही साँसों का था..!!

यह जो मेरी क़ब्र पर रोते हैं,
अभी ऊठ जाऊँ,
तो ये जीने न दे..!!

मेरे पीठ पर जो जख्म़ है,
वो अपनों की निशानी हैं,
वरना सीना तो आज
भी दुश्मनो के इंतजार मे बैठा है..

जरुरत तोड देती है
इन्सान के घमंड को..
न होती मजबूरी तो
हर बंदा खुदा होता.!!!

जिसको गलत तस्वीर दिखाई,
उसको ही बस खुश रख पाया.
जिसके सामने आईना रक्खा,
हर शख्स वो मुझसे रूठ गया..!!

इस जमाने मे वफा की तलाश ना कर गाफि़ल
वो वक्त और था..
जब मकान कच्चे और लोग सच्चे होते थे..!!!
📈📉
आज अजीब किस्सा देखा हमने खुदकुशी का,
एक शख्स ने ज़िन्दगी से तंग आकर..
मुहब्बत कर ली।

No comments:

Post a Comment