Kisi Din Teri Nazro Se Dur Ho Jayenge Hum
Dur Fizaon Me Kahi Kho Jayenge Hum
Meri Yaadon Se Lipat Ke Rone Aaoge Tum
Jab Zameen Ko Odh Ke So Jayenge Hum..
मैने तुमसे मोहब्बत की है,
अब ये "गुनाह" है तो है..
तुझ बिन जीने की आदत नही मुझे,
अब ये "ख़ता" है तो है..
तुम ना मिले तो शायद मैं जी ना सकूँ,
अब ये "बेवक़ूफी" है तो है..
मैं जनता हूँ की तुम्हे नफ़रत है मुझ से,
पर मुझे तुझ से "मोहब्बत" है तो है ...!!
हर पल दिल को बहला लेता हूँ,
तन्हाई में खुद को ही दोस्त बना लेता हूँ,
याद उनको करके मुस्कुरा लेता हूँ,
गुजरे लम्हों को फिर करीब बुला लेता हूँ."
आज फिर से छाये है
उनकी रहमत से बादल...!!
किस्मत में भीगना लीखा है या तरसना....
खुदा जाने..!
ताश के खेल ओर जिन्दगी के मेल मे .
एक बात याद रखना...
"अपने "इक्के" को तब हि उजागर
करना..जब विरोधी का बादशाह
सामने हो......
उठने लगा जब मेरे प्यार का जनाजा। तब हुआ उन्हें
मेरी मोहब्बत का अंदाजा।। जब
मेरी कब्र खोद रहे थे दुनिया वाले। तब
रो रही थी वो, करके बंद दरवाजा।।
"डूबते हैं तो पानी को दोष देते हैं, गिरते हैं तो पत्थर को दोष देते हैं, इंशान भी क्या अजीब हैं दोस्तों.... कुछ कर नहीं पाता तो किस्मत को दोष देता हैं."
: तू बेशक अपनी महफ़िल में मुझे बदनाम करती हैंलेकिन तुझे
अंदाज़ा भी नहीं कि वो लोग भी मेरे पैर छुते है जिन्हें तू
भरी महफ़िल में सलाम करती हैं...
Dur Fizaon Me Kahi Kho Jayenge Hum
Meri Yaadon Se Lipat Ke Rone Aaoge Tum
Jab Zameen Ko Odh Ke So Jayenge Hum..
मैने तुमसे मोहब्बत की है,
अब ये "गुनाह" है तो है..
तुझ बिन जीने की आदत नही मुझे,
अब ये "ख़ता" है तो है..
तुम ना मिले तो शायद मैं जी ना सकूँ,
अब ये "बेवक़ूफी" है तो है..
मैं जनता हूँ की तुम्हे नफ़रत है मुझ से,
पर मुझे तुझ से "मोहब्बत" है तो है ...!!
हर पल दिल को बहला लेता हूँ,
तन्हाई में खुद को ही दोस्त बना लेता हूँ,
याद उनको करके मुस्कुरा लेता हूँ,
गुजरे लम्हों को फिर करीब बुला लेता हूँ."
आज फिर से छाये है
उनकी रहमत से बादल...!!
किस्मत में भीगना लीखा है या तरसना....
खुदा जाने..!
ताश के खेल ओर जिन्दगी के मेल मे .
एक बात याद रखना...
"अपने "इक्के" को तब हि उजागर
करना..जब विरोधी का बादशाह
सामने हो......
उठने लगा जब मेरे प्यार का जनाजा। तब हुआ उन्हें
मेरी मोहब्बत का अंदाजा।। जब
मेरी कब्र खोद रहे थे दुनिया वाले। तब
रो रही थी वो, करके बंद दरवाजा।।
"डूबते हैं तो पानी को दोष देते हैं, गिरते हैं तो पत्थर को दोष देते हैं, इंशान भी क्या अजीब हैं दोस्तों.... कुछ कर नहीं पाता तो किस्मत को दोष देता हैं."
: तू बेशक अपनी महफ़िल में मुझे बदनाम करती हैंलेकिन तुझे
अंदाज़ा भी नहीं कि वो लोग भी मेरे पैर छुते है जिन्हें तू
भरी महफ़िल में सलाम करती हैं...
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