Sunday, December 28, 2014

कभी भी 'कामयाबी' को दिमाग और 'नकामी' को दिल में जगह
नहीं देनी चाहिए।
क्योंकि,
कामयाबी दिमाग में घमंड और नकामी दिल में
मायूसी पैदा करती है।




शतरंज की चालों का खौफ़
उन्हें होता हैं...
जो सियासत करते है,
दोस्त हम तो सीर्फ मोहब्बत करते है...




मोहब्बत का मेरे सफर आख़िरी है,
ये कागज, कलम ये गजल आख़िरी है
मैं फिर ना मिलूंगा कहीं ढूंढ लेना
तेरे दर्द का ये असर आख़िरी है…!!




शायरी की ज़रूरत महफ़िल मे होती हे,
मोहब्बत की ज़रूरत दिल मे होती हे,
दोस्ती के बिना कुछ नही हे ये ज़िंदगी,
क्यू की दोस्ती की ज़रूरत हर पल मे होती





यदि कोई सिर्फ और सिर्फ मुझको देखता है और मेरी लीलाओं को सुनता है और खुद को सिर्फ मुझमें समर्पित करता है तो वह भगवान तक पंहुच जायेगा"





Aadat alg h hamaari duniya valo se,
kam dost rkhte h magr
LAJAWAB rkhte h..
Qki beshk hamari mala chhoti h,
pr phool usme sare
GULAB rkhte hai.




 सोचा ना था कभी ऐसी दोस्ती होगी
साथ मेरे आप जैसी हस्ती होगी
जन्नत की गलियो क ख्वाब क्यू देखु
अग्र हम सारे दोस्त साथ होंगे,
तो नर्क मे भी मस्ती होगी



 महसुस जब हो कि सारा शहर आप से जलने लगा है , समझ लेना कि आप का नाम भी चलने लगा है ।।

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