एक मित्र ने बहुत ही सुंदर पंक्तियां भेजी है, फारवर्ड करने से खुद को रोक नहीं पाया ....
"प्रेम चाहिये तो समर्पण खर्च करना होगा।
विश्वास चाहिये तो निष्ठा खर्च करनी होगी।
साथ चाहिये तो समय खर्च करना होगा।
किसने कहा रिश्ते मुफ्त मिलते हैं ।
मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती ।
एक साँस भी तब आती है,
जब एक साँस छोड़ी जाती है!!"
यदि आप अपने घर में "शेर" बनकर रहेंगे तो निश्चयः ही
आपकी पत्नी "दुर्गा" बनकर आप पर सवारी करेगी,
किन्तु यदि आप अपने घर में "नारायण" बनकर रहेंगे तो निश्चय ही आपकी पत्नी लक्ष्मी बनकर साथ रहेगी।
अब आप तय करें की आप को
क्या बनकर रहना है।।
🙏🙏🙏🙏🙏
"प्रेम चाहिये तो समर्पण खर्च करना होगा।
विश्वास चाहिये तो निष्ठा खर्च करनी होगी।
साथ चाहिये तो समय खर्च करना होगा।
किसने कहा रिश्ते मुफ्त मिलते हैं ।
मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती ।
एक साँस भी तब आती है,
जब एक साँस छोड़ी जाती है!!"
यदि आप अपने घर में "शेर" बनकर रहेंगे तो निश्चयः ही
आपकी पत्नी "दुर्गा" बनकर आप पर सवारी करेगी,
किन्तु यदि आप अपने घर में "नारायण" बनकर रहेंगे तो निश्चय ही आपकी पत्नी लक्ष्मी बनकर साथ रहेगी।
अब आप तय करें की आप को
क्या बनकर रहना है।।
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