Sunday, December 28, 2014

 गीले कगाज़ की तरहान है ज़िंदगी अपनी
कोई लिखता भी नही कोई जलता भी नही
इस क़दर अकेले हो गई हैं आज कल
कोई सताता भी नही ओर कोई मानता भी नही.......



जिधर देखो इश्क के बीमार बैठे हैं , हजारों मर गए, लाखों तैयार बैठे हैं , बर्बाद होते है ये लड़कियों के पीछे, कहते हैं की सरकार की वजह से बेरोजगार बैठे हैं.....?





रिश्ता हमारा इस जहाँ मे सबसे प्यारा हो जैसे ज़िंदगी को सांसो का सहारा हो याद करना हमे उस पल मे जब तुम अकेले हो और कोई ना तुम्हारा हो.




 रिश्ता हमारा इस जहाँ मे सबसे प्यारा हो जैसे ज़िंदगी को सांसो का सहारा हो याद करना हमे उस पल मे जब तुम अकेले हो और कोई ना तुम्हारा हो.




मैं भूला नहीं हूँ किसी को...
मेरे बहुत कम दोस्त है ज़माने में .........
बस थोड़ी जिंदगी उलझी पड़ी है .....
2 वक़्त की रोटी कमाने में। .....

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