Monday, December 29, 2014

: बिन देखे मैं तुझसे प्यार कर बेठा,
बस यही गुनाह मैं एक बार कर बेठा
मिलना तो तुझसे मुकदर को मंजूर न था
ये सब जानते हुए मैं मोहब्बत तुझसे बेसुमार कर बेठा
अगर मंजूर हुआ मुकदर को तो फूल फिर खिलेंगे
बिछड़े हुए दो दिल फिर मिलेंगे
अगर मिल न पाये इस जनम में तो काया हुआ
ये आशिक़ है फिर मिलेंगे किसी और जानम में




‬: इश्क़ सभी को जीना सीखा देता है,
वफ़ा के नाम पर मरना सीखा देता है.
इश्क़ नही किया तो करके देखो,
ज़ालिम हर दर्द सहना सीखा देता है…




 फ़ोन मेरी ज़िन्दगी का एक अहम् हिस्सा बन गया
फ़ोन पर मिली तू मुझे और प्यार का एक नया किस्सा बन गया

होती थी रोज मुलाकाते फ़ोन पर हमारी
तू मेरे दिल कि रानी मैं तेरे दिल का रजा बन गया




 सुबह का हर पल ज़िंदगी दे आपको
दिन का हर लम्हा खुशी दे आपको
जहा गम की हवा छू कर भी न गुज़रे
खुदा वो जन्नत से ज़मीन दे आपको





जब खामोश आँखो से बात होती है
ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है
तुम्हारे ही ख़यालो में खोए रहते हैं
पता नही कब दिन और कब रात होती है……..




‬: सुबह का हर पल ज़िंदगी दे आपको
दिन का हर लम्हा खुशी दे आपको
जहा गम की हवा छू कर भी न गुज़रे
खुदा वो जन्नत से ज़मीन दे आपको

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