Saturday, December 27, 2014

क्या खुब जवाब था एक बंदे का
जब उससे पुछा गया की तेरी दुनिया
कहा से शुरू होती है कहा पर खत्म

बंदे का जवाब था

मा की कोख से शुरू होकर
पिता के चरणो से गुजर कर
पत्नि की खुशी के गलियो से होकर
बच्चो के सपनो को पुरा करने तक खत्म....



 वजह पूछने का
मौका ही कहाँ मिला...
वो लहजे बदलते रहे,
हम अजनबी होते गए...!!!



तू इस कदर इन्सान को इतना बेबस ना बना मेरे खुदा…!!!

की तेरा बन्दा तुजसे पहले किसी और के आगे झुक जाये…..!!!



उसकी नफरत करने की इन्तेहां तो देखो....
ऐ दोस्तों....
जब मैंने उससे कहा, मुझे मोहब्बत है तुम्हारी जुल्फों से...
तो वो 'टकली' हो गई..पगली.....

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