Sunday, December 28, 2014

 कौन कहता है आसमां में सुराख़ हो नहीं सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों!



 कभी वो नजर जो समाई थी दिल में
उसी एक नज़र का सहारा लिए जा

सताए ज़माना सितम ढाए दुनिया
मगर तू किसी की तमन्ना किये जा



 ना हम रहे दिल लगाने के क़ाबिल,
ना दिल रहा घाम उठाने के क़ाबिल,
लगा उसकी यादों के जो ज़ख़्म दिल पर,
ना छोड़ा उस ने मुस्कुराने के क़ाबिल.




जो ढल जाए वो शाम होती है,
जो ख़तम हो जाए वो ज़िंदगी होती है,
जो मिल जाए वो मौत होती है,
और जो ना मिले वो मोहब्बत होती है….




 Yeh intizaar ke lamhon ki kab intiha hogi,
unki aamad ki khushi kab ashqon se bayan hogi,
woh aayen to seene se main unko laga loonga,
woh wasl ki yaaden hi is dil main nishan hogi…!



 Pani pe naam likhte nahi,
pani pe naam tikte nahi,
loog kehte hai hum patthar dil hai ,
par patthar pe likhe naam kabhi mitt te nahi….

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