Tuesday, December 30, 2014

कब ठीक होता है हाल किसी के पूछने से,
बस तसल्ली हो जाती है कोई फिकरमंद है अपना......




किस्मतवालों को ही मिलती है पनाह किसी के
दिल में,
यूं हर शख़्स को तो जन्नत
का पता नहीं मिलता……….!!




यूँ तो मसले और मुद्दे बहुत हैं लिखने को मगर ,
कमबख्त़ इन कागज़ों को तेरा ही ज़िक्र अज़ीज़ है …




तेरी यादे भी समंदर के किनारों पे आती लहेरो की तरह है ,
जो ना खुद सूखती है ;
न किनारों को सूखने देती है "




ज़लील कर के जिस फ़कीर को किया तूने रुखसत...
वो भीख लेनें नहीं.... तुझे दुआएँ देने आता था.......




"Sach Hai Hameen Ko Aap Ke Shikway Bajaa Na Thay..

Be-Shak Sitam Janaab Ke Sab Dostaana Thay..!"




 ज़ालिम किसी का कत्ल भी कर ले तो कुछ ना हो
मजलूम को इक आह भी भरने पे रोक है ।

जेहाद मुश्किलों से है करने की इजाज़त....
मायूस हो के ग़म से भी डरने पे रोक है ।

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