Saturday, December 27, 2014

 तनहाई में फरियाद तो कर सकता हूँ,
वीराने को आबाद कर सकता हूँ,
जब चाहूँ तुम्हे मिल नहीं सकता,
लेकिन जब चाहूँ तुम्हे याद कर सकता हूँ |



 ए चाँद मेरे दोस्त को एक तोहफा देना,
तारो की महफ़िल संग रोशनी करना,
छुपा लेना अंधेरे को,
हर रात के बाद एक खूबसूरत सवेरा देना…



 दूरियाँ समझती हैं दर्द कैसे सहना है?
आँख लाख चाहे पर होठ को ना कहना है|
रात की उदासी को, आँसुओं ने झेला है,
कुछ गलत ना कर बैठे मन बहुत अकेला है|




 हमने भी कभी प्यार किया था,
थोड़ा नही बेशुमार किया था,
बदल गयी जिंदगी तब,
जब उसने कहा अरे पागल मैने तो मज़ाक किया था…



 ईका ओर बादशाह तो चिपक गये शिरफ कविन ने साथ नही दिया,, कयृकि हमारी जीनंदगि मे कोय कविन नही है



 मौत ने पुछा- मैं आऊँगी तो स्वागत करोगे कैसे... मैंने कहा-राह में फूल बिछाकर पूछुंगा कि आने में इतनी देर कैसे...



रिहासत में मिली बादशाही पर
क्यों इतना इतराना ?
सच ही कह गया सिकंदर,
" राजा पैदा नहीं होते, राजा बनते
है" —


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