Monday, December 22, 2014

मेरे वजूद मे काश तू उतार जाए
मे देखु आईना ओर तू नज़र आए,
तू हो सामने और वक़्त ठहर जाए,
ये ज़िंदगी तुझे यू ही देखते हुए गुज़र जाए..


 कुछ उलझे सवालो से डरता हे दिल
जाने क्यों तन्हाई में बिखरता हे दिल
किसी को पाने कि अब कोई चाहत न रही
बस कुछ अपनों को खोने से डरता हे ये दिल



 इतनी पीता हू की मदहोश रहता हू.
सब कुछ समझता हू पर खामोश रहता हू
जो लोग करते ह मुझे गिराने की कोशिश
मे अक्सर उन्ही के साथ रहता हू|



जीवनरूपी नाव के हम है खिवैया,
अगर मजधार में डूबने लगे आपकी नैया,
तो डरना नहीं होसला रखना,
पार कराएगा आपको कीशन कनैया



‬: बनाने वाले ने भी तुझे,
किसी कारण से बनाया होगा,
छोड़ा होगा जब ज़मीन पर तुझे,
उसके सीने में भी दर्द तो आया होगा…


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