Wednesday, December 24, 2014

 मेरी मोहब्बत मेरे दिल की गफलत थी मैं बेसबब ही उम्र भर तुझे कोसता रहा..... आखिर ये बेवफाई और वफ़ा क्या है तेरे जाने के बाद देर तक सोचता रहा...... मैं इसे किस्मत कहूँ या बदकिस्मती अपनी तुझे पाने के बाद भी तुझे खोजता रहा.... सुना था वो मेरे दर्द मे ही छुपा है कहीं उसे ढूँढने को मैं अपने ज़ख्म नोचता रहा...




 धोखा दिया था जब तूने मुझे. जिंदगी से मैं नाराज था, सोचा कि दिल से तुझे निकाल दूं. मगर कंबख्त दिल भी तेरे पास था…. ******************* पास आकर सभी दूर चले जाते हैं, हम अकेले थे अकेले ही रह जाते हैं, दिल का दर्द किससे दिखाए, मरहम लगाने वाले ही ज़ख़्म दे जाते हैं.



 जिंदगी ज़ख्मों से भरी है वक़्त को मरहम बनाना सीख लो;
हारना तो मौत के सामने है फिलहाल जिंदगी से जीतना सीख लो।



 इक हुनर है जो कर गया हूँ मैं;
सब के दिल से उतर गया हूँ मैं;
कैसे अपनी हँसी को ज़ब्त करूँ;
सुन रहा हूँ कि घिर गया हूँ मैं।



 किसी के काम न जो आए वह आदमी क्या है;
जो अपनी ही फिक्र में गुजरे, वह जिन्दगी क्या है।




 साथ रहते यूँ ही वक़्त गुज़र जायेगा;
दूर होने के बाद कौन किसे याद आयेगा;
जी लो ये पल जब हम साथ हैं;
कल क्या पता वक़्त कहाँ ले जायेगा।

No comments:

Post a Comment