Sunday, December 21, 2014

तुझे मेरी ज़रूरत है, मुझे तेरी ज़रूरत है
चलो क्यों न हम दोनों ये आदत - आज बदल डालें

मैं तुझे लिखती ही रही, तू मुझे गुनगुनाता रहा
चलो ये धुन जिसे कहते हैं मोहब्बत - आज बदल डालें

चेहरे से पढ़ जो लेते हैं सब हाल-ऐ-दिल हमारा
इश्क़ के रंग में रंगी अपनी ये सूरत - आज बदल डालें

इससे पहले की लोग पूछें हमारी जुदाई का सबब
संग संग दूर तक चलने की हसरत - आज बदल डालें

अपनी चाहतों का हिसाब किस-किस को देंगे हम
बिछड़ना ही है तो सदियों की रफ़ाक़त - आज बदल डालें

अजीब होते हैं ख्वाइशों के सिलसिले भी
इस दिवानगी की दास्तान-ऐ-उल्फत - आज बदल डालें

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