Saturday, December 6, 2014

 संता की तपस्या से प्रसन्न...
भगवान : "क्या वर चाहिये...?"
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संता : "सिस्टम से चलिये प्रभु ...!
पहले तपस्या भंग करने के लिए अप्सराएं आती हैं, उसका क्या हुआ...???"

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 तमन्‍ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
यह मौसम ही बदल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
मुझे गम है कि मैने जिन्‍दगी में कुछ नहीं पाया
ये ग़म दिल से निकल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ



 ग़रीबी क्यों हमारे शहर से बाहर नहीं जाती
अमीर-ए-शहर के घर की हर एक शादी बताती है

मैं उन आँखों के मयख़ाने में थोड़ी देर बैठा था
मुझे दुनिया नशे का आज भी आदी बताती है.





 मुद्दत से तमन्ना हुई अफसाना न मिला ……
हम खोजते रहे मगर ठिकाना न मिला …………..
लो आज फिर चली गई जिंदगी नजरो के सामने से ……
और उसे कोई रुकने का बहाना न मिला ……………………….




 गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं कांटों से भी ज़ीनत होती है
जीने के लिये इस दुनिया में ग़म की भी ज़रूरत होती है
जो आकर रुके दामन पे “सबा” वो अश्क नहीं है पानी है
जो आंसू न छलके आँखों से उस अश्क की कीमत होती है
ऐ वाईज़-ए-नादां करता है तू एक क़यामत का चर्चा
यहाँ रोज़ निगाहें मिलती हैं यहाँ रोज़ क़यामत होती है

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