Friday, December 26, 2014



जरुरत के मुताबिक जिंदगी जिओ - ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं।
क्योंकि जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है;
और ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह जाती है।




"एक दुआ माँगते है हम अपने खुदा से,
चाहते है आपकी खुशी पूरे ईमान से,
सब हसरतें पूरी हो आपकी,
और आप मुस्कुराएँ दिलो जान से."




 गांव लौटा शहर से तो सादगी अच्छी लगी
हमको मिट्टी के दीये की रौशनी अच्छी लगी

बासी रोटी सेंक कर जो नाश्ते में मां ने दी
हर अमीरी से मुझे वो मुफलिसी अच्छी लगी




 "बहुत दूर है तुमसे, पर दिल तुम्हारे पास है.
जिस्म पड़ा है यहा, पर रूह तुम्हारे पास है.
जन्मदिन है तुम्हारा, पर जशन हमारे पास है.
जुड़ा है एक-दूसरे से हम, पर फिर भी तुम हमारे पास हो और हम तुम्हारे पास है "



"हर लम्हा आपके होठों पे मुस्कान रहे,
हर गम से आप अंजान रहें,
जिसके साथ महक उठे आपकी ज़िंदगी,
हमॆशा आपके पास वो इंसान रहे."

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