Monday, December 22, 2014

 हम जिनके दीवाने है वो गैरों के गुण गाते थे,हमने कहा आपके बिन जी ना सकेंगे,तो हंस के कहने लगे,के जब हम ना थे तब भी तो जीते थे..



 यह ख्वाइश हैं मेरी खुदा से , जिस चीज़ पे तू हाथरखे वो चीज़ तेरी हो और जिस से तू प्यार करेवोह तकदीर मेरी हो



 मुस्कुराते पलकों पे सनम चले आते हैं ,आप क्या जानो कहाँ से हमारे घूम आते हैं ,आज भी उस मोड़ पर खड़े हैं जहा किसी ने कहा था के ठेरों हम अभी आते हैं.



 जब भी उनकी गली से गुज़रता हूँ,मेरी आंखें एक दस्तक दे देती है,दुःख ये नहीं, वो दरवाजा बंद कर देते है,खुशी ये है, वो मुझे अब भी पहचान लेते हैं।

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