Thursday, December 11, 2014

 मेरा क़ातिल भी परेशां है मेरी माँ की
दुआओं से...
क्योंकि जब भी वार करता है ख़ंजर टूट जाता है..!!


टूटे हुए सपनो और छुटे हुए अपनों ने
मार दिया...
वरना ख़ुशी खुद हमसे
मुस्कुराना सिखने आया करती थी...



 नफ़रतो के इस दौर मे..
चार लोगो से रिश्ता बना के रखना...
सुना है लाश को कब्र तक दौलत नहीं ले जाती...


जो हाथ से काम करता है ,उसका पेट भरता है....
और जो बुद्धि से काम करता है, उसकी तिजोरी...



तेरे प्यार की रौशनी ऐसी हे की हर तरफ उजाला नज़र आता हे
सोचती हु घर के बिजली कटवा दू कमबख्त बिल बहोत आता हे


: इस वास्ते जी भर के उसे देख न पाए
सुनते हैं कि लग जाती है अपनों की नज़र भी


एक भीगा हुआ, छ्ल्का छल्का, वह लफ्ज़ भी है,
जब दर्द छुए तो आँखों में भर आता है
कहने के लिये लब हिलते नहीं,
आँखों से अदा हो जाता है!!


: इस पथ का उद्देश्य नहीं है
श्रान्त भवन में टिक जाना
किन्तु पहुँचना उस सीमा तक
जिसके आगे राह नहीं है

No comments:

Post a Comment